"Beach ( समुद्र का किनारा )" |
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जब मेरी आँखों ने देखा वो नजारा समुद्र का।
कितना खूबसूरत था वो किनारा समुद्र का।
समुद्र का किनारा
मेरे पहली झलक के अहसास को प्रदर्शित करने वाले इस लेख में आप सभी का स्वागत है।
मै भारत के बीचों बीच स्थित, मध्यप्रदेश के भोपाल जिले का निवासी हूँ। मैने अपने स्वप्न में ही समुद्र का किनारा देखा था और या फिर फ़िल्मों में ही देखा था।
पर जब मै पिछले साल एक Holiday company मे job कर रहा था, तब मै छत्तीसगढ़ काम के सिल्सिले मे गया था। जब वहां का काम खत्म हो गया तब हमारे बॉस ने कहा कि अगले दिन हम सभी को सुबह चार बजे नई सिटी में जाना है। हम सभी अगले दिन बॉस की कार से नई सिटी कि ओर चल दिये बॉस ने हमे यह नही बताया था कि हम सभी किस सिटी में जा रहे हैं।
वह बहुत लम्बा सफर था, पूरे 18 घँटे लगे कार में बैठे बैठे मेरी तो पीठ ही अकड़ गयी।
फिर अचानक बॉस ने कार रोक दी, हम सभी थके हुए थे हमारे बॉस बिना हम सभी से कुछ भी कहे कार का द्वार खोल कर बाहर खड़े हो गए, फिर कुछ देर बाद वो थोड़ी आगे तक चले और गायब हो गए।
हम सभी कार से उतरे और बॉस की और दौडे़ हम सभी को बॉस की चिन्ता हो रही थी क्यों की वह पिछले 18 घंटों से लगातार कार चला रहे थे। हम सभी बॉस के पास वहाँ तक गए जहाँ तक हमे बॉस जाते हुए दिखे थे। हमने वहाँ से नीचे की और देखा तो बॉस रेत पर लेते हुए थे।
हमने फिर अपने सामने का नजारा देखा।
चारों और पानी ही पानी था,,, बॉस की चिंता मे हमारा ध्यान ही नहीं गया।
बॉस ने कहा की हम सभी ने छत्तीसगढ़ मे बहुत अच्छा काम किया है। इसलिए उन्होंने हमे "Surprise Holiday " दिया है। वो भी Odisha ( Puri ) मे।
हम सभी बहुत खुश हुए,,,
मै दौड़ता गया आगे उस नजारे की और, शरीर थका हुआ था पर लग नही रहा था, एक अलग सी अनुभूति थी,
ठंडी ठंडी हवाएं मेरे कानों से हो कर गुजर रही थी। दोड़ते हुए जमीन जैसे पाओं के नीचे से खिसल रही थी।
मै तब तक दोडता रहा जब तक मेरे पैरों ने उस ठंडे पानी को छू ना लिया।
मै अपने घुटनों पर बैठ गया अपनी आँखों को बंद कर लिया और उस पल मे खो गया।
यह मेरे सपनो का पल था,, यहाँ मै पहले भी आया था बस शरीर इस बार साथ लाया था। मैने पहले भी यह देखा था पर इस बार अपनी सच्ची आँखों से देख रहा था।
लेहरे मुझे भीगा रहीं थी,, मानो जैसे चिड़ा रहीं थी।
प्राकृति के इस सौंदर्य को देख मेरी आँखे भर आई। और एक कतरा आँसु का आँखों से झलक उठा और जाकर मिल गया उस असीम सागर मे।
और मेरे अन्दर छुपा वो कवि जाग उठा, फिर मैने यह छोटी सी कविता उस नजारे के नाम लिख दी,
ना भुला पाऊंगा। (कविता, Poem)
- वो खूबसूरत नजारा,,, ना भुला पाऊंगा।
- वो समुद्र का किनारा,,, ना भूला पाऊंगा।
- वो इठलाती लेहरें,,, वो चिलचिलाती दोपहेरें,,,
- वो हिनहीनाते घोड़े जो रेत पे दोढें,,,
- वो मोती की माला,,, वो सुन्दर सी बाला।
- वो कदमों का मेरे रेत धस्ना,,, वो खिलखिला कर तेरा युं मुझ प हँसना।
- वो वादा हमारा,,, ना भुला पाऊंगा।
- वो खूबसूरत नजारा,,, ना भुला पाऊंगा।
- वो समुद्र का किनारा,,, ना भूला पाऊंगा।|
Thanks & Invites
इस प्रतियोगिता का आयोजन करने हेतु मै Steem for ladies community का धन्यवाद करना चाहुंगा।
मै @kashishchidar, @samyank, @vikashpawar, , @muskanlodhi, @juhiyadav, @sanjanashukla, @sapnasen, @sumitsuryawanshi, @varshav, @rahulshakya, को इस प्रतियोगिता में आमंत्रित करना चाहूँगा।
About Me
नमस्कार दोस्तों, मे अविनाश गोयाल हूँ।
चल पढा हूँ अपनी एक नई राह बनाने को,,,,
ईट नहीं, गारा नहीं अपना आशियाँ बनाने को,,,,
छेनी, फावड़ा भी भूल गया बस हाथ हिं मेरे साथ है,,,,
है आप सभी का साथ तो डरने की क्या बात है,,,,
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